Hindī kāvya para Āṅgla prabhāvaPadmajā Prakāśana, 1954 - 301 σελίδες |
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Αποτελέσματα 1 - 3 από τα 85.
Σελίδα 69
... अपनी प्राचीन रूढ़ि - वादी प्रथाओं का त्याग स्वाभाविक था । धर्म और समाज के विषयों में एक प्रश्नात्मक दृष्टिकोण का विकास होने लगा ...
... अपनी प्राचीन रूढ़ि - वादी प्रथाओं का त्याग स्वाभाविक था । धर्म और समाज के विषयों में एक प्रश्नात्मक दृष्टिकोण का विकास होने लगा ...
Σελίδα 109
... अपने काव्य प्रस्तुत किये हैं । वे पूँजीवाद के विरोध में उठने वाली जनवाणी को अपनी कविताओं में मुखरित करते हैं । ' भारत भारती ' में ...
... अपने काव्य प्रस्तुत किये हैं । वे पूँजीवाद के विरोध में उठने वाली जनवाणी को अपनी कविताओं में मुखरित करते हैं । ' भारत भारती ' में ...
Σελίδα 258
... अपनी कविताओं में ' फ्री थोट एसोसियशन ' और स्वप्न पद्धति का प्रयोग करते 1 जैसा कहा जा चुका है वे अपनी दमित ' सेक्स ' भावनाओं की ...
... अपनी कविताओं में ' फ्री थोट एसोसियशन ' और स्वप्न पद्धति का प्रयोग करते 1 जैसा कहा जा चुका है वे अपनी दमित ' सेक्स ' भावनाओं की ...
Συχνά εμφανιζόμενοι όροι και φράσεις
अंग्रेजी अतिरिक्त अथवा अधिक अनेक अपनी अपने इन इस इस प्रकार इसके इसी ईश्वर उनकी उनके उन्होंने उसकी उसके उसे एवं और कर करता करते हैं कवि कविता में कवियों का कारण कार्य काल काव्य की काव्य में किन्तु किया किया है किसी कुछ के प्रति के रूप में के लिए के लिये केवल को गया गये छन्द जयशंकर प्रसाद जाता जीवन जो तक तथा तो था थी थे दर्शन दिया दो दोनों द्वारा द्विवेदी द्विवेदी युग धर्म नवीन नहीं नारी निराला ने पन्त पर पाश्चात्य पृ० प्रकृति प्रतीत प्रभाव प्रयोग प्रवृत्ति प्रसाद प्रिय प्रेम बहुत भारत भारत में भारतीय भारतेन्दु भाषा भी में भी यह युग रहस्यवादी रहा रोमांटिक वर्णन वह विकास विचार विषय वे श्रादि श्रीधर पाठक संस्कृति सब समय समस्त समाज सुमित्रानन्दन पन्त से हम हमें हिन्दी कविता हिन्दी काव्य हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो होता है होने