Hindī kāvya para Āṅgla prabhāvaPadmajā Prakāśana, 1954 - 301 σελίδες |
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Αποτελέσματα 1 - 3 από τα 91.
Σελίδα 106
Ravīndra Sahāya Varmā. रूप में चित्रित किया और उनके चरित्र को आधुनिक मनोवृत्ति के अनुरूप ही दिखाया । ४० किया । श्रतः कृष्ण को उनके ऊँचे ...
Ravīndra Sahāya Varmā. रूप में चित्रित किया और उनके चरित्र को आधुनिक मनोवृत्ति के अनुरूप ही दिखाया । ४० किया । श्रतः कृष्ण को उनके ऊँचे ...
Σελίδα 159
... उनके विचार जानने में असर्मथ था । तथापि उनके हाव - भाव से उनके श्रानंद का सहज उद्र ेक स्पष्ट भासित हो रहा था । For the least motion that they made It ...
... उनके विचार जानने में असर्मथ था । तथापि उनके हाव - भाव से उनके श्रानंद का सहज उद्र ेक स्पष्ट भासित हो रहा था । For the least motion that they made It ...
Σελίδα 211
... उनके प्रारंभिक रचना काल में , उन्हें व्याकरण की कड़ियाँ तोड़ने के लिए बाध्य करता रहा है । शब्दों के लिंग भेद का ज्ञान भी वे इसी कारण ...
... उनके प्रारंभिक रचना काल में , उन्हें व्याकरण की कड़ियाँ तोड़ने के लिए बाध्य करता रहा है । शब्दों के लिंग भेद का ज्ञान भी वे इसी कारण ...
Συχνά εμφανιζόμενοι όροι και φράσεις
अंग्रेजी अतिरिक्त अथवा अधिक अनेक अपनी अपने इन इस इस प्रकार इसके इसी ईश्वर उनकी उनके उन्होंने उसकी उसके उसे एवं और कर करता करते हैं कवि कविता में कवियों का कारण कार्य काल काव्य की काव्य में किन्तु किया किया है किसी कुछ के प्रति के रूप में के लिए के लिये केवल को गया गये छन्द जयशंकर प्रसाद जाता जीवन जो तक तथा तो था थी थे दर्शन दिया दो दोनों द्वारा द्विवेदी द्विवेदी युग धर्म नवीन नहीं नारी निराला ने पन्त पर पाश्चात्य पृ० प्रकृति प्रतीत प्रभाव प्रयोग प्रवृत्ति प्रसाद प्रिय प्रेम बहुत भारत भारत में भारतीय भारतेन्दु भाषा भी में भी यह युग रहस्यवादी रहा रोमांटिक वर्णन वह विकास विचार विषय वे श्रादि श्रीधर पाठक संस्कृति सब समय समस्त समाज सुमित्रानन्दन पन्त से हम हमें हिन्दी कविता हिन्दी काव्य हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो होता है होने