Hindī kāvya para Āṅgla prabhāvaPadmajā Prakāśana, 1954 - 301 σελίδες |
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Σελίδα 97
... कवियों को यदि बड़ी न हो सके , तो छोटी - छोटी स्वतंत्र कविता करनी चाहिये ।११८ उनका विश्वास था कि संसार की तुच्छ से तुच्छ वस्तु भी ...
... कवियों को यदि बड़ी न हो सके , तो छोटी - छोटी स्वतंत्र कविता करनी चाहिये ।११८ उनका विश्वास था कि संसार की तुच्छ से तुच्छ वस्तु भी ...
Σελίδα 98
... कवि का उद्देश्य केवल मनोरंजन हो नहीं , अपितु उपदेश भी होना चाहिये | २४ कला का यह सुधारवादी दृष्टिकोण द्विवेदी युग के सांस्कृतिक ...
... कवि का उद्देश्य केवल मनोरंजन हो नहीं , अपितु उपदेश भी होना चाहिये | २४ कला का यह सुधारवादी दृष्टिकोण द्विवेदी युग के सांस्कृतिक ...
Σελίδα 180
... कविता में कवि की निराशा श्रभिव्यक्त हुई है । कवि उस स्वर्णिम समय के लिये , जो पुनः नहीं श्रा सकता , श्रत्यन्त दुखी है । कवि कहता है ...
... कविता में कवि की निराशा श्रभिव्यक्त हुई है । कवि उस स्वर्णिम समय के लिये , जो पुनः नहीं श्रा सकता , श्रत्यन्त दुखी है । कवि कहता है ...
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अंग्रेजी अतिरिक्त अथवा अधिक अनेक अपनी अपने इन इस इस प्रकार इसके इसी ईश्वर उनकी उनके उन्होंने उसकी उसके उसे एवं और कर करता करते हैं कवि कविता में कवियों का कारण कार्य काल काव्य की काव्य में किन्तु किया किया है किसी कुछ के प्रति के रूप में के लिए के लिये केवल को गया गये छन्द जयशंकर प्रसाद जाता जीवन जो तक तथा तो था थी थे दर्शन दिया दो दोनों द्वारा द्विवेदी द्विवेदी युग धर्म नवीन नहीं नारी निराला ने पन्त पर पाश्चात्य पृ० प्रकृति प्रतीत प्रभाव प्रयोग प्रवृत्ति प्रसाद प्रिय प्रेम बहुत भारत भारत में भारतीय भारतेन्दु भाषा भी में भी यह युग रहस्यवादी रहा रोमांटिक वर्णन वह विकास विचार विषय वे श्रादि श्रीधर पाठक संस्कृति सब समय समस्त समाज सुमित्रानन्दन पन्त से हम हमें हिन्दी कविता हिन्दी काव्य हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो होता है होने