Hindī kāvya para Āṅgla prabhāvaPadmajā Prakāśana, 1954 - 301 σελίδες |
Αναζήτηση στο βιβλίο
Αποτελέσματα 1 - 3 από τα 59.
Σελίδα 144
... किसी भी ऐसे काव्यादर्श को ग्रहण करने के लिये उद्यत था जो उसे काव्य के बाह्य श्राडम्बर से छुटकारा दे सके । श्रतः बँगला साहित्य के ...
... किसी भी ऐसे काव्यादर्श को ग्रहण करने के लिये उद्यत था जो उसे काव्य के बाह्य श्राडम्बर से छुटकारा दे सके । श्रतः बँगला साहित्य के ...
Σελίδα 186
... किसी देश अथवा काल की थाती न होकर समस्त मानवता की वस्तु है । संसार के समस्त ... किसी न किसी समय एक अलौकिक सत्ता के अस्तित्व का ( १८६ )
... किसी देश अथवा काल की थाती न होकर समस्त मानवता की वस्तु है । संसार के समस्त ... किसी न किसी समय एक अलौकिक सत्ता के अस्तित्व का ( १८६ )
Σελίδα 187
Ravīndra Sahāya Varmā. किसी न किसी समय एक अलौकिक सत्ता के अस्तित्व का अनुभव करते हैं और उनकी श्रात्मा उससे अपना संबंध स्थापित करने के लिये ...
Ravīndra Sahāya Varmā. किसी न किसी समय एक अलौकिक सत्ता के अस्तित्व का अनुभव करते हैं और उनकी श्रात्मा उससे अपना संबंध स्थापित करने के लिये ...
Συχνά εμφανιζόμενοι όροι και φράσεις
अंग्रेजी अतिरिक्त अथवा अधिक अनेक अपनी अपने इन इस इस प्रकार इसके इसी ईश्वर उनकी उनके उन्होंने उसकी उसके उसे एवं और कर करता करते हैं कवि कविता में कवियों का कारण कार्य काल काव्य की काव्य में किन्तु किया किया है किसी कुछ के प्रति के रूप में के लिए के लिये केवल को गया गये छन्द जयशंकर प्रसाद जाता जीवन जो तक तथा तो था थी थे दर्शन दिया दो दोनों द्वारा द्विवेदी द्विवेदी युग धर्म नवीन नहीं नारी निराला ने पन्त पर पाश्चात्य पृ० प्रकृति प्रतीत प्रभाव प्रयोग प्रवृत्ति प्रसाद प्रिय प्रेम बहुत भारत भारत में भारतीय भारतेन्दु भाषा भी में भी यह युग रहस्यवादी रहा रोमांटिक वर्णन वह विकास विचार विषय वे श्रादि श्रीधर पाठक संस्कृति सब समय समस्त समाज सुमित्रानन्दन पन्त से हम हमें हिन्दी कविता हिन्दी काव्य हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो होता है होने