Hindī kāvya para Āṅgla prabhāvaPadmajā Prakāśana, 1954 - 301 σελίδες |
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... गया है । ' प्रांग्ल प्रभाव ' की यहाँ पर उसके विस्तृत अर्थ में व्याख्या की गयी है । फलतः उसमें उन सब पाश्चात्य प्रभावों का समावेश है ...
... गया है । ' प्रांग्ल प्रभाव ' की यहाँ पर उसके विस्तृत अर्थ में व्याख्या की गयी है । फलतः उसमें उन सब पाश्चात्य प्रभावों का समावेश है ...
Σελίδα 14
... गया । नायिका की जाति , कर्म , गुण , देश , वय , श्रंग - रचना , कुल श्रादि श्राधारों पर उसके बहुसंख्यक भेद किये गये और उसके लक्षणों को ...
... गया । नायिका की जाति , कर्म , गुण , देश , वय , श्रंग - रचना , कुल श्रादि श्राधारों पर उसके बहुसंख्यक भेद किये गये और उसके लक्षणों को ...
Σελίδα 122
... गया है कवि ने प्राचीन भारत के धर्म , दर्शन और कला की उन्नति का उल्ल ेख किया है । जैसा पीछे कहा जा चुका है भारत - भारती को पाद ...
... गया है कवि ने प्राचीन भारत के धर्म , दर्शन और कला की उन्नति का उल्ल ेख किया है । जैसा पीछे कहा जा चुका है भारत - भारती को पाद ...
Συχνά εμφανιζόμενοι όροι και φράσεις
अंग्रेजी अतिरिक्त अथवा अधिक अनेक अपनी अपने इन इस इस प्रकार इसके इसी ईश्वर उनकी उनके उन्होंने उसकी उसके उसे एवं और कर करता करते हैं कवि कविता में कवियों का कारण कार्य काल काव्य की काव्य में किन्तु किया किया है किसी कुछ के प्रति के रूप में के लिए के लिये केवल को गया गये छन्द जयशंकर प्रसाद जाता जीवन जो तक तथा तो था थी थे दर्शन दिया दो दोनों द्वारा द्विवेदी द्विवेदी युग धर्म नवीन नहीं नारी निराला ने पन्त पर पाश्चात्य पृ० प्रकृति प्रतीत प्रभाव प्रयोग प्रवृत्ति प्रसाद प्रिय प्रेम बहुत भारत भारत में भारतीय भारतेन्दु भाषा भी में भी यह युग रहस्यवादी रहा रोमांटिक वर्णन वह विकास विचार विषय वे श्रादि श्रीधर पाठक संस्कृति सब समय समस्त समाज सुमित्रानन्दन पन्त से हम हमें हिन्दी कविता हिन्दी काव्य हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो होता है होने