Hindī kāvya para Āṅgla prabhāvaPadmajā Prakāśana, 1954 - 301 σελίδες |
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Σελίδα 43
... जिसके फलस्वरूप कांग्रेस को बीसवीं शती में अपनी ' श्राराम कुर्सी वाली राजनीति ' ( arm - chair politics ) छोड़कर एक सक्रिय संस्था बनना पड़ा ...
... जिसके फलस्वरूप कांग्रेस को बीसवीं शती में अपनी ' श्राराम कुर्सी वाली राजनीति ' ( arm - chair politics ) छोड़कर एक सक्रिय संस्था बनना पड़ा ...
Σελίδα 196
... जो व्यक्ति को एक तीर्थयात्री बना देती है ; द्वितीय , श्रात्मा की वह प्रवृत्ति जिससे वह अपने एक साथी की कल्पना करती है और जो उसे एक ...
... जो व्यक्ति को एक तीर्थयात्री बना देती है ; द्वितीय , श्रात्मा की वह प्रवृत्ति जिससे वह अपने एक साथी की कल्पना करती है और जो उसे एक ...
Σελίδα 253
... ( जो मार्क्सवाद का क्षेत्र है ) अधिक प्रधानता दी है । १३ ९ पन्त के अनुसार कोई भी सामाजिक व्यवस्था जो ऊर्ध्वगामी नहीं है अधिक समय के ...
... ( जो मार्क्सवाद का क्षेत्र है ) अधिक प्रधानता दी है । १३ ९ पन्त के अनुसार कोई भी सामाजिक व्यवस्था जो ऊर्ध्वगामी नहीं है अधिक समय के ...
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अंग्रेजी अतिरिक्त अथवा अधिक अनेक अपनी अपने इन इस इस प्रकार इसके इसी ईश्वर उनकी उनके उन्होंने उसकी उसके उसे एवं और कर करता करते हैं कवि कविता में कवियों का कारण कार्य काल काव्य की काव्य में किन्तु किया किया है किसी कुछ के प्रति के रूप में के लिए के लिये केवल को गया गये छन्द जयशंकर प्रसाद जाता जीवन जो तक तथा तो था थी थे दर्शन दिया दो दोनों द्वारा द्विवेदी द्विवेदी युग धर्म नवीन नहीं नारी निराला ने पन्त पर पाश्चात्य पृ० प्रकृति प्रतीत प्रभाव प्रयोग प्रवृत्ति प्रसाद प्रिय प्रेम बहुत भारत भारत में भारतीय भारतेन्दु भाषा भी में भी यह युग रहस्यवादी रहा रोमांटिक वर्णन वह विकास विचार विषय वे श्रादि श्रीधर पाठक संस्कृति सब समय समस्त समाज सुमित्रानन्दन पन्त से हम हमें हिन्दी कविता हिन्दी काव्य हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो होता है होने