Hindī kāvya para Āṅgla prabhāvaPadmajā Prakāśana, 1954 - 301 σελίδες |
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Αποτελέσματα 1 - 3 από τα 34.
Σελίδα 142
... प्रतीक मात्र हैं । उसके नाटकों को पढ़ते समय हमें ऐसा प्रतीत होता ... प्रतीकों का प्रभाव आधुनिक हिन्दी काव्य की रहस्यवादी धारा पर ...
... प्रतीक मात्र हैं । उसके नाटकों को पढ़ते समय हमें ऐसा प्रतीत होता ... प्रतीकों का प्रभाव आधुनिक हिन्दी काव्य की रहस्यवादी धारा पर ...
Σελίδα 193
... प्रतीक बनाकर उसे शिव के लिए तपस्या में रत दिखाते हैं | ८६ रामकुमार वर्मा ने भी प्रकृति के प्रतीक का प्रयोग किया है । वह फटे हुये ...
... प्रतीक बनाकर उसे शिव के लिए तपस्या में रत दिखाते हैं | ८६ रामकुमार वर्मा ने भी प्रकृति के प्रतीक का प्रयोग किया है । वह फटे हुये ...
Σελίδα 208
... प्रतीकों द्वारा व्यक्त करते हैं । उसके अतिरिक्त ' कामायनी ' के सर्गों के नाम - श्राशा , काम , वासना , लज्जा , कर्म , ईर्ष्या आदि - भी ...
... प्रतीकों द्वारा व्यक्त करते हैं । उसके अतिरिक्त ' कामायनी ' के सर्गों के नाम - श्राशा , काम , वासना , लज्जा , कर्म , ईर्ष्या आदि - भी ...
Συχνά εμφανιζόμενοι όροι και φράσεις
अंग्रेजी अतिरिक्त अथवा अधिक अनेक अपनी अपने इन इस इस प्रकार इसके इसी ईश्वर उनकी उनके उन्होंने उसकी उसके उसे एवं और कर करता करते हैं कवि कविता में कवियों का कारण कार्य काल काव्य की काव्य में किन्तु किया किया है किसी कुछ के प्रति के रूप में के लिए के लिये केवल को गया गये छन्द जयशंकर प्रसाद जाता जीवन जो तक तथा तो था थी थे दर्शन दिया दो दोनों द्वारा द्विवेदी द्विवेदी युग धर्म नवीन नहीं नारी निराला ने पन्त पर पाश्चात्य पृ० प्रकृति प्रतीत प्रभाव प्रयोग प्रवृत्ति प्रसाद प्रिय प्रेम बहुत भारत भारत में भारतीय भारतेन्दु भाषा भी में भी यह युग रहस्यवादी रहा रोमांटिक वर्णन वह विकास विचार विषय वे श्रादि श्रीधर पाठक संस्कृति सब समय समस्त समाज सुमित्रानन्दन पन्त से हम हमें हिन्दी कविता हिन्दी काव्य हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो होता है होने