Hindī kāvya para Āṅgla prabhāvaPadmajā Prakāśana, 1954 - 301 σελίδες |
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Σελίδα 117
... प्रेम अर्थात् देश के प्रति प्रेम और श्रादर की भावना ; द्वितीय , राष्ट्रीयता - वाद का सांस्कृतिक रूप अर्थात् भारत के प्राचीन गौरव की ...
... प्रेम अर्थात् देश के प्रति प्रेम और श्रादर की भावना ; द्वितीय , राष्ट्रीयता - वाद का सांस्कृतिक रूप अर्थात् भारत के प्राचीन गौरव की ...
Σελίδα 176
... प्रेम के आदर्श को , विश्व को नवजीवन प्रदान करने वाली शक्ति के रूप में देखा था , और निखिल मानवता के प्रेम के अंचल में सुखो र सम्पन्न ...
... प्रेम के आदर्श को , विश्व को नवजीवन प्रदान करने वाली शक्ति के रूप में देखा था , और निखिल मानवता के प्रेम के अंचल में सुखो र सम्पन्न ...
Σελίδα 248
... प्रेम की सरलता और स्वच्छता हमारे मानसिक और धार्मिक संस्कारों द्वारा नष्ट हो चुकी है : " हमने प्रेम की सरलता को नष्ट कर दिया है ...
... प्रेम की सरलता और स्वच्छता हमारे मानसिक और धार्मिक संस्कारों द्वारा नष्ट हो चुकी है : " हमने प्रेम की सरलता को नष्ट कर दिया है ...
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अंग्रेजी अतिरिक्त अथवा अधिक अनेक अपनी अपने इन इस इस प्रकार इसके इसी ईश्वर उनकी उनके उन्होंने उसकी उसके उसे एवं और कर करता करते हैं कवि कविता में कवियों का कारण कार्य काल काव्य की काव्य में किन्तु किया किया है किसी कुछ के प्रति के रूप में के लिए के लिये केवल को गया गये छन्द जयशंकर प्रसाद जाता जीवन जो तक तथा तो था थी थे दर्शन दिया दो दोनों द्वारा द्विवेदी द्विवेदी युग धर्म नवीन नहीं नारी निराला ने पन्त पर पाश्चात्य पृ० प्रकृति प्रतीत प्रभाव प्रयोग प्रवृत्ति प्रसाद प्रिय प्रेम बहुत भारत भारत में भारतीय भारतेन्दु भाषा भी में भी यह युग रहस्यवादी रहा रोमांटिक वर्णन वह विकास विचार विषय वे श्रादि श्रीधर पाठक संस्कृति सब समय समस्त समाज सुमित्रानन्दन पन्त से हम हमें हिन्दी कविता हिन्दी काव्य हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो होता है होने