Hindī kāvya para Āṅgla prabhāvaPadmajā Prakāśana, 1954 - 301 σελίδες |
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Αποτελέσματα 1 - 3 από τα 82.
Σελίδα 84
... विचार से कि गद्य और पद्य की भाषा में कोई भेद न होना चाहिए , किस प्रकार और बल मिला । किन्तु इस आंदोलन के प्रारम्भ का श्रेय भारतेन्दु ...
... विचार से कि गद्य और पद्य की भाषा में कोई भेद न होना चाहिए , किस प्रकार और बल मिला । किन्तु इस आंदोलन के प्रारम्भ का श्रेय भारतेन्दु ...
Σελίδα 222
... विचारों को जो उसके मस्तिष्क में किसी अवरोध के तारतम्य में कह डालने के लिए निर्देश देते हैं । ये विचार जो बहुधा सुसंबद्ध नहीं होते ...
... विचारों को जो उसके मस्तिष्क में किसी अवरोध के तारतम्य में कह डालने के लिए निर्देश देते हैं । ये विचार जो बहुधा सुसंबद्ध नहीं होते ...
Σελίδα 226
... विचार विचित्र हैं । वह नारी को ( biologically ) पुरुष से अधिक शक्तिशाली मानता है स्वप्नदृष्टा कहता है जो स्वप्नों , धाकांक्षाओं आदि के जगत ...
... विचार विचित्र हैं । वह नारी को ( biologically ) पुरुष से अधिक शक्तिशाली मानता है स्वप्नदृष्टा कहता है जो स्वप्नों , धाकांक्षाओं आदि के जगत ...
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अंग्रेजी अतिरिक्त अथवा अधिक अनेक अपनी अपने इन इस इस प्रकार इसके इसी ईश्वर उनकी उनके उन्होंने उसकी उसके उसे एवं और कर करता करते हैं कवि कविता में कवियों का कारण कार्य काल काव्य की काव्य में किन्तु किया किया है किसी कुछ के प्रति के रूप में के लिए के लिये केवल को गया गये छन्द जयशंकर प्रसाद जाता जीवन जो तक तथा तो था थी थे दर्शन दिया दो दोनों द्वारा द्विवेदी द्विवेदी युग धर्म नवीन नहीं नारी निराला ने पन्त पर पाश्चात्य पृ० प्रकृति प्रतीत प्रभाव प्रयोग प्रवृत्ति प्रसाद प्रिय प्रेम बहुत भारत भारत में भारतीय भारतेन्दु भाषा भी में भी यह युग रहस्यवादी रहा रोमांटिक वर्णन वह विकास विचार विषय वे श्रादि श्रीधर पाठक संस्कृति सब समय समस्त समाज सुमित्रानन्दन पन्त से हम हमें हिन्दी कविता हिन्दी काव्य हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो होता है होने