Hindī kāvya para Āṅgla prabhāvaPadmajā Prakāśana, 1954 - 301 σελίδες |
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Σελίδα 7
... हो गये थे । श्रौरंगजेब को इस परिस्थिति को सम्हालने में पर्याप्त संघर्ष करना पड़ा . था । अपने ५० वर्ष के राज्य के पूर्वाद्ध में उसे ...
... हो गये थे । श्रौरंगजेब को इस परिस्थिति को सम्हालने में पर्याप्त संघर्ष करना पड़ा . था । अपने ५० वर्ष के राज्य के पूर्वाद्ध में उसे ...
Σελίδα 8
... हो रहे थे । इस सामन्तीय सैनिक बल के ह्रास के साथ - साथ स्वभावतः ... हो चुकी थी और चारों ओर घोर अशान्ति और श्रव्यवस्था फैल रही थी ...
... हो रहे थे । इस सामन्तीय सैनिक बल के ह्रास के साथ - साथ स्वभावतः ... हो चुकी थी और चारों ओर घोर अशान्ति और श्रव्यवस्था फैल रही थी ...
Σελίδα 73
... हो दुइरंगी । आधे पुराने पुरानहिं माने ! श्राधे भये किरिस्तान हो दुइरंगी || क्या तो गदहा सो चना चढ़ावें , कि होइ दयानंद जायँ हो ...
... हो दुइरंगी । आधे पुराने पुरानहिं माने ! श्राधे भये किरिस्तान हो दुइरंगी || क्या तो गदहा सो चना चढ़ावें , कि होइ दयानंद जायँ हो ...
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अंग्रेजी अतिरिक्त अथवा अधिक अनेक अपनी अपने इन इस इस प्रकार इसके इसी ईश्वर उनकी उनके उन्होंने उसकी उसके उसे एवं और कर करता करते हैं कवि कविता में कवियों का कारण कार्य काल काव्य की काव्य में किन्तु किया किया है किसी कुछ के प्रति के रूप में के लिए के लिये केवल को गया गये छन्द जयशंकर प्रसाद जाता जीवन जो तक तथा तो था थी थे दर्शन दिया दो दोनों द्वारा द्विवेदी द्विवेदी युग धर्म नवीन नहीं नारी निराला ने पन्त पर पाश्चात्य पृ० प्रकृति प्रतीत प्रभाव प्रयोग प्रवृत्ति प्रसाद प्रिय प्रेम बहुत भारत भारत में भारतीय भारतेन्दु भाषा भी में भी यह युग रहस्यवादी रहा रोमांटिक वर्णन वह विकास विचार विषय वे श्रादि श्रीधर पाठक संस्कृति सब समय समस्त समाज सुमित्रानन्दन पन्त से हम हमें हिन्दी कविता हिन्दी काव्य हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि हैं हो होता है होने