Sumitrānandana Panta aura unakā Ādhunika kavi: Ālocanā evaṃ vyākhyāPrabhāta Prakāśana, 1960 - 248 σελίδες |
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Αποτελέσματα 1 - 3 από τα 37.
Σελίδα 104
... आज उठालो ! 11 इस प्रकार मानव समुदाय के रूप में श्रागे बढ़ेगा । कवि ... आज का मानव अपने जीवन की समस्याओं में स्वयं उलझा हुआ है । इसीलिए ...
... आज उठालो ! 11 इस प्रकार मानव समुदाय के रूप में श्रागे बढ़ेगा । कवि ... आज का मानव अपने जीवन की समस्याओं में स्वयं उलझा हुआ है । इसीलिए ...
Σελίδα 106
... आज संसार के आगे केवल एक समस्या है और वह है ' बृहत् सांस्कृतिक समस्या ' - " राजनीति का प्रश्न नहीं रे आज जगत के सम्मुख । अर्थ साम्य भी ...
... आज संसार के आगे केवल एक समस्या है और वह है ' बृहत् सांस्कृतिक समस्या ' - " राजनीति का प्रश्न नहीं रे आज जगत के सम्मुख । अर्थ साम्य भी ...
Σελίδα 237
... आज के इस प्रकार प्रकार महात्मा गाँधी जिस प्रकार बुझते हुए दीपक की लौ अन्तिम बार क्षण भर को तीव्र एवं स्थिर रूप से प्रकाशित हो उठती ...
... आज के इस प्रकार प्रकार महात्मा गाँधी जिस प्रकार बुझते हुए दीपक की लौ अन्तिम बार क्षण भर को तीव्र एवं स्थिर रूप से प्रकाशित हो उठती ...
Συχνά εμφανιζόμενοι όροι και φράσεις
अधिक अपनी अपने अब अलंकार आकाश आज आदि इस प्रकार इसी उस उसका उसके उसी प्रकार उसे एक एवं कभी कर करता है करती करते करने कल्पना कवि कवि ने कविता का काव्य किया है की कुछ के कारण के प्रति के रूप में के लिए के समान केवल को कोमल गंगा गई गया है चित्रण चेतना छन्द छायावाद जब जल जाता है जाती जाते जिस प्रकार जीवन की जो तथा तुम तुम्हारे तो था थी थे दर्शन दिया दृष्टि देती है दोनों नहीं नारी ने पन्त जी पर परन्तु परिवर्तन पल्लव पृथिवी प्रकृति प्रस्तुत प्रेम बालिका भावना भी मधुर मन मानव मानो मेरे मैं यह यहाँ युग रहस्यवाद रहा है रही रहे वर्षा ऋतु वह विकास विश्व वीणा वे शब्द श्लेष संसार समस्त सुन्दर से सौंदर्य स्नेह हम ही हुआ हुई हुए हृदय हे है और है कि हैं हो होकर होता है होती होते