Sumitrānandana Panta aura unakā Ādhunika kavi: Ālocanā evaṃ vyākhyāPrabhāta Prakāśana, 1960 - 248 σελίδες |
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Αποτελέσματα 1 - 3 από τα 80.
Σελίδα 49
... एवं ललित कलामों से भी विशेष रूप से प्रभावित हुआ है । कवि में विश्वबन्धुत्व एवं मानवतावाद का स्वर प्रधान है । ' नीरव तार ' में पन्त जी ...
... एवं ललित कलामों से भी विशेष रूप से प्रभावित हुआ है । कवि में विश्वबन्धुत्व एवं मानवतावाद का स्वर प्रधान है । ' नीरव तार ' में पन्त जी ...
Σελίδα 78
... एवं चमत्कार के साथ - साथ रसाभिव्यक्ति है । यही कारण है कि उनके वर्णन अधिक सजीव हैं । पन्त जी में वर्णन पटुता एवं सूक्ष्मता प्रसाद से ...
... एवं चमत्कार के साथ - साथ रसाभिव्यक्ति है । यही कारण है कि उनके वर्णन अधिक सजीव हैं । पन्त जी में वर्णन पटुता एवं सूक्ष्मता प्रसाद से ...
Σελίδα 161
... एवं भोला था मानो सरलता ही उसका मन हो । उस बालिका की अलौकिकता ही उसकी शोभा बढ़ाने वाले अलंकार थे । उसके सरल एवं भोले नेत्र कानों तक ...
... एवं भोला था मानो सरलता ही उसका मन हो । उस बालिका की अलौकिकता ही उसकी शोभा बढ़ाने वाले अलंकार थे । उसके सरल एवं भोले नेत्र कानों तक ...
Συχνά εμφανιζόμενοι όροι και φράσεις
अधिक अपनी अपने अब अलंकार आकाश आज आदि इस प्रकार इसी उस उसका उसके उसी प्रकार उसे एक एवं कभी कर करता है करती करते करने कल्पना कवि कवि ने कविता का काव्य किया है की कुछ के कारण के प्रति के रूप में के लिए के समान केवल को कोमल गंगा गई गया है चित्रण चेतना छन्द छायावाद जब जल जाता है जाती जाते जिस प्रकार जीवन की जो तथा तुम तुम्हारे तो था थी थे दर्शन दिया दृष्टि देती है दोनों नहीं नारी ने पन्त जी पर परन्तु परिवर्तन पल्लव पृथिवी प्रकृति प्रस्तुत प्रेम बालिका भावना भी मधुर मन मानव मानो मेरे मैं यह यहाँ युग रहस्यवाद रहा है रही रहे वर्षा ऋतु वह विकास विश्व वीणा वे शब्द श्लेष संसार समस्त सुन्दर से सौंदर्य स्नेह हम ही हुआ हुई हुए हृदय हे है और है कि हैं हो होकर होता है होती होते