Sumitrānandana Panta aura unakā Ādhunika kavi: Ālocanā evaṃ vyākhyāPrabhāta Prakāśana, 1960 - 248 σελίδες |
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Αποτελέσματα 1 - 3 από τα 68.
Σελίδα 147
... कविता का आधार बाल मनोविज्ञान है , दर्शन या रहस्य नहीं । शब्दों का चयन पात्रानुकूल है | कविता की सबसे बड़ी विशेषता ( २ ) इस कविता की ...
... कविता का आधार बाल मनोविज्ञान है , दर्शन या रहस्य नहीं । शब्दों का चयन पात्रानुकूल है | कविता की सबसे बड़ी विशेषता ( २ ) इस कविता की ...
Σελίδα 156
... कविता में होते हैं । ( ३ ) यह कविता कवि की प्रास्तिक भावना का प्रतीक है । पाश्चात्य आलोचकों के मत में भारतीय भक्ति तथा ज्ञानमार्ग ...
... कविता में होते हैं । ( ३ ) यह कविता कवि की प्रास्तिक भावना का प्रतीक है । पाश्चात्य आलोचकों के मत में भारतीय भक्ति तथा ज्ञानमार्ग ...
Σελίδα 230
... कविता के बन्धन टूटते नजर आए । • प्रस्तुत कविता में कवि कहता है कि अब छन्द के प्राचीन बन्धन टूट गए । अनुप्रास आदि अलंकार का सुनहरी ...
... कविता के बन्धन टूटते नजर आए । • प्रस्तुत कविता में कवि कहता है कि अब छन्द के प्राचीन बन्धन टूट गए । अनुप्रास आदि अलंकार का सुनहरी ...
Συχνά εμφανιζόμενοι όροι και φράσεις
अधिक अपनी अपने अब अलंकार आकाश आज आदि इस प्रकार इसी उस उसका उसके उसी प्रकार उसे एक एवं कभी कर करता है करती करते करने कल्पना कवि कवि ने कविता का काव्य किया है की कुछ के कारण के प्रति के रूप में के लिए के समान केवल को कोमल गंगा गई गया है चित्रण चेतना छन्द छायावाद जब जल जाता है जाती जाते जिस प्रकार जीवन की जो तथा तुम तुम्हारे तो था थी थे दर्शन दिया दृष्टि देती है दोनों नहीं नारी ने पन्त जी पर परन्तु परिवर्तन पल्लव पृथिवी प्रकृति प्रस्तुत प्रेम बालिका भावना भी मधुर मन मानव मानो मेरे मैं यह यहाँ युग रहस्यवाद रहा है रही रहे वर्षा ऋतु वह विकास विश्व वीणा वे शब्द श्लेष संसार समस्त सुन्दर से सौंदर्य स्नेह हम ही हुआ हुई हुए हृदय हे है और है कि हैं हो होकर होता है होती होते