Sumitrānandana Panta aura unakā Ādhunika kavi: Ālocanā evaṃ vyākhyāPrabhāta Prakāśana, 1960 - 248 σελίδες |
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Αποτελέσματα 1 - 3 από τα 51.
Σελίδα 2
... दृष्टिकोण है । जिस प्रकार भक्ति काव्य जीवन के प्रति एक प्रकार का भावात्मक दृष्टिकोण था और रीतिकाव्य एक दूसरे प्रकार का , उसी ...
... दृष्टिकोण है । जिस प्रकार भक्ति काव्य जीवन के प्रति एक प्रकार का भावात्मक दृष्टिकोण था और रीतिकाव्य एक दूसरे प्रकार का , उसी ...
Σελίδα 14
... दृष्टिकोण भी सामंजस्य पूर्ण है । वह न अधिक सुख चाहता है न अधिक दुःख । दोनों की प्रति में जीवन अपरिपूर्ण है । इसीलिए मध्यम मार्ग ...
... दृष्टिकोण भी सामंजस्य पूर्ण है । वह न अधिक सुख चाहता है न अधिक दुःख । दोनों की प्रति में जीवन अपरिपूर्ण है । इसीलिए मध्यम मार्ग ...
Σελίδα 81
Ālocanā evaṃ vyākhyā Kundanalāla Upretī. ६ पंत जी का नारी के प्रति दृष्टिकोण पन्त जी का नारी के प्रति दृष्टिकोण जानने से पहले हमें नारी के इतिहास पर ...
Ālocanā evaṃ vyākhyā Kundanalāla Upretī. ६ पंत जी का नारी के प्रति दृष्टिकोण पन्त जी का नारी के प्रति दृष्टिकोण जानने से पहले हमें नारी के इतिहास पर ...
Συχνά εμφανιζόμενοι όροι και φράσεις
अधिक अपनी अपने अब अलंकार आकाश आज आदि इस प्रकार इसी उस उसका उसके उसी प्रकार उसे एक एवं कभी कर करता है करती करते करने कल्पना कवि कवि ने कविता का काव्य किया है की कुछ के कारण के प्रति के रूप में के लिए के समान केवल को कोमल गंगा गई गया है चित्रण चेतना छन्द छायावाद जब जल जाता है जाती जाते जिस प्रकार जीवन की जो तथा तुम तुम्हारे तो था थी थे दर्शन दिया दृष्टि देती है दोनों नहीं नारी ने पन्त जी पर परन्तु परिवर्तन पल्लव पृथिवी प्रकृति प्रस्तुत प्रेम बालिका भावना भी मधुर मन मानव मानो मेरे मैं यह यहाँ युग रहस्यवाद रहा है रही रहे वर्षा ऋतु वह विकास विश्व वीणा वे शब्द श्लेष संसार समस्त सुन्दर से सौंदर्य स्नेह हम ही हुआ हुई हुए हृदय हे है और है कि हैं हो होकर होता है होती होते