Sumitrānandana Panta aura unakā Ādhunika kavi: Ālocanā evaṃ vyākhyāPrabhāta Prakāśana, 1960 - 248 σελίδες |
Αναζήτηση στο βιβλίο
Αποτελέσματα 1 - 3 από τα 39.
Σελίδα 38
... दृष्टि से उनके भविष्य के लिए बड़ी आशा बाँधी थी । परन्तु आज वे आलोचक पन्त में आध्यात्मिक परिवर्तन देखकर मानेंगे कि शोषण एवं उत्पीडन ...
... दृष्टि से उनके भविष्य के लिए बड़ी आशा बाँधी थी । परन्तु आज वे आलोचक पन्त में आध्यात्मिक परिवर्तन देखकर मानेंगे कि शोषण एवं उत्पीडन ...
Σελίδα 109
... दृष्टि से उपयोगी नहीं जान पड़े । " शुद्ध भौतिकवाद भी पन्तजी को ग्राह्य नहीं , क्योंकि शुद्ध भौतिकवाद समाज के कल्याण को राजनीतिक और ...
... दृष्टि से उपयोगी नहीं जान पड़े । " शुद्ध भौतिकवाद भी पन्तजी को ग्राह्य नहीं , क्योंकि शुद्ध भौतिकवाद समाज के कल्याण को राजनीतिक और ...
Σελίδα 147
... दृष्टि रखने वाले हैं । वे न जाने कितने ही कण्टकाकीर्ण अन्धकार पूर्ण मार्गों को अपनी इसी दिव्य दृष्टि के द्वारा पार कर चुके हैं ...
... दृष्टि रखने वाले हैं । वे न जाने कितने ही कण्टकाकीर्ण अन्धकार पूर्ण मार्गों को अपनी इसी दिव्य दृष्टि के द्वारा पार कर चुके हैं ...
Συχνά εμφανιζόμενοι όροι και φράσεις
अधिक अपनी अपने अब अलंकार आकाश आज आदि इस प्रकार इसी उस उसका उसके उसी प्रकार उसे एक एवं कभी कर करता है करती करते करने कल्पना कवि कवि ने कविता का काव्य किया है की कुछ के कारण के प्रति के रूप में के लिए के समान केवल को कोमल गंगा गई गया है चित्रण चेतना छन्द छायावाद जब जल जाता है जाती जाते जिस प्रकार जीवन की जो तथा तुम तुम्हारे तो था थी थे दर्शन दिया दृष्टि देती है दोनों नहीं नारी ने पन्त जी पर परन्तु परिवर्तन पल्लव पृथिवी प्रकृति प्रस्तुत प्रेम बालिका भावना भी मधुर मन मानव मानो मेरे मैं यह यहाँ युग रहस्यवाद रहा है रही रहे वर्षा ऋतु वह विकास विश्व वीणा वे शब्द श्लेष संसार समस्त सुन्दर से सौंदर्य स्नेह हम ही हुआ हुई हुए हृदय हे है और है कि हैं हो होकर होता है होती होते