Sumitrānandana Panta aura unakā Ādhunika kavi: Ālocanā evaṃ vyākhyāPrabhāta Prakāśana, 1960 - 248 σελίδες |
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Αποτελέσματα 1 - 3 από τα 50.
Σελίδα 158
... मन कानों तक आ जाता है । हमारा मन प्रेमी की बातें सुनने लगता | ( जब प्रियका सन्देश या चर्चा का विषय जहाँ भी छिड़ जाता है तो प्रेमी का ...
... मन कानों तक आ जाता है । हमारा मन प्रेमी की बातें सुनने लगता | ( जब प्रियका सन्देश या चर्चा का विषय जहाँ भी छिड़ जाता है तो प्रेमी का ...
Σελίδα 161
... मन ' घर हाथ । जिस बालिका के प्रति कवि आकर्षित हुआ है उस बालिका का मन अत्यन्त सरल एवं भोला था मानो सरलता ही उसका मन हो । उस बालिका की ...
... मन ' घर हाथ । जिस बालिका के प्रति कवि आकर्षित हुआ है उस बालिका का मन अत्यन्त सरल एवं भोला था मानो सरलता ही उसका मन हो । उस बालिका की ...
Σελίδα 211
... मन से कहता है - ऐ मेरे मधुर मन ! तू विश्व की वेदना से प्रतिक्षण व्यथित हो और जगत और जीवन की ज्वाला में जल कर कुन्दन के समान निष्कलंक ...
... मन से कहता है - ऐ मेरे मधुर मन ! तू विश्व की वेदना से प्रतिक्षण व्यथित हो और जगत और जीवन की ज्वाला में जल कर कुन्दन के समान निष्कलंक ...
Συχνά εμφανιζόμενοι όροι και φράσεις
अधिक अपनी अपने अब अलंकार आकाश आज आदि इस प्रकार इसी उस उसका उसके उसी प्रकार उसे एक एवं कभी कर करता है करती करते करने कल्पना कवि कवि ने कविता का काव्य किया है की कुछ के कारण के प्रति के रूप में के लिए के समान केवल को कोमल गंगा गई गया है चित्रण चेतना छन्द छायावाद जब जल जाता है जाती जाते जिस प्रकार जीवन की जो तथा तुम तुम्हारे तो था थी थे दर्शन दिया दृष्टि देती है दोनों नहीं नारी ने पन्त जी पर परन्तु परिवर्तन पल्लव पृथिवी प्रकृति प्रस्तुत प्रेम बालिका भावना भी मधुर मन मानव मानो मेरे मैं यह यहाँ युग रहस्यवाद रहा है रही रहे वर्षा ऋतु वह विकास विश्व वीणा वे शब्द श्लेष संसार समस्त सुन्दर से सौंदर्य स्नेह हम ही हुआ हुई हुए हृदय हे है और है कि हैं हो होकर होता है होती होते