Sumitrānandana Panta aura unakā Ādhunika kavi: Ālocanā evaṃ vyākhyāPrabhāta Prakāśana, 1960 - 248 σελίδες |
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Αποτελέσματα 1 - 3 από τα 41.
Σελίδα 124
... शक्ति को देखकर डॉ ० नगेन्द्र को भी यह कहना पड़ा कि - ' पन्त जी की कल्पना का सबसे बड़ा गुण उसकी मूर्तिविद्यायिनी शक्ति है । यह शक्ति ...
... शक्ति को देखकर डॉ ० नगेन्द्र को भी यह कहना पड़ा कि - ' पन्त जी की कल्पना का सबसे बड़ा गुण उसकी मूर्तिविद्यायिनी शक्ति है । यह शक्ति ...
Σελίδα 201
... शक्ति का नश्वर नर्तन है । यह प्रतिभासित जग उस नित्य शक्ति को अपने में समेटे है । यह जगत् परिवर्तन शील है । ( यह माना गया है कि ...
... शक्ति का नश्वर नर्तन है । यह प्रतिभासित जग उस नित्य शक्ति को अपने में समेटे है । यह जगत् परिवर्तन शील है । ( यह माना गया है कि ...
Σελίδα 247
... शक्ति वाष्प शक्तियाँ रेल आदि उत्तर यौवन । मन्त्रों के रूप में धू - धू कर रहीं थीं । ( सैनिकों की सहायता में इनका उपयोग किया जा रहा था ...
... शक्ति वाष्प शक्तियाँ रेल आदि उत्तर यौवन । मन्त्रों के रूप में धू - धू कर रहीं थीं । ( सैनिकों की सहायता में इनका उपयोग किया जा रहा था ...
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अधिक अपनी अपने अब अलंकार आकाश आज आदि इस प्रकार इसी उस उसका उसके उसी प्रकार उसे एक एवं कभी कर करता है करती करते करने कल्पना कवि कवि ने कविता का काव्य किया है की कुछ के कारण के प्रति के रूप में के लिए के समान केवल को कोमल गंगा गई गया है चित्रण चेतना छन्द छायावाद जब जल जाता है जाती जाते जिस प्रकार जीवन की जो तथा तुम तुम्हारे तो था थी थे दर्शन दिया दृष्टि देती है दोनों नहीं नारी ने पन्त जी पर परन्तु परिवर्तन पल्लव पृथिवी प्रकृति प्रस्तुत प्रेम बालिका भावना भी मधुर मन मानव मानो मेरे मैं यह यहाँ युग रहस्यवाद रहा है रही रहे वर्षा ऋतु वह विकास विश्व वीणा वे शब्द श्लेष संसार समस्त सुन्दर से सौंदर्य स्नेह हम ही हुआ हुई हुए हृदय हे है और है कि हैं हो होकर होता है होती होते